Thursday, March 24, 2011

ख्वाब

कुछ ख्वाब होते हैं
सूरज से कहीं ज्यादा चमकीले
अद्भुत रश्मियों के मायाजाल से घिरे
सुदूर क्षितिज से झांकते
तुम्हारे नैनों की पुतलियों में खड़े
...मन की पुस्तक की जिल्द में जड़े
...ख्वाब न हुए, जिम्मेदारी हो गयी !!!
देखो भी और पूरा भी करो
मुए जाते भी तो नहीं दिल से
कहीं पड़े भी नहीं रहते चुप से
तुम्हारे हों ये मेरे ...
ख्वाब होते हैं बंदिशों ,दायरों, दीवारों से परे
जिसे छूने की नहीं है ताब
उससे कोई कैसे लड़े

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