Thursday, March 24, 2011

तेवर

तुम कैसे कहते हो रुक गया हूँ मैं
तम्हे कैसे लगा झुक गया हूँ मैं

ठीकरों को मूर्ति कर दे , है वो श्रद्धा मुझमे
सिंहासनो को हिला दे , ऐसा विश्वास दिल में
कुछ देर थमने से धुंधलाती नहीं निगाहें
...मेरे दिल की आग से रोशन हैं मेरी राहें
अभी मेरा लहू है वही लाल गाड़ा रगों में
अभी मेरे सपने हैं वही सलोने सतरंगी
नाद के हुंकार से जगी हुई जिजीवषा
चोट सहने की बाकी है अब तक क्षमता

छिल गए घुटने मगर , हड्डियाँ सलामत हैं
दम्भियों , मुझ से डरो, आने वाली क़यामत है

वो रात

जब से थी वो आई
लाई ऐसा खुमार
हर जन हुआ शुमार
जाने कैसा जूनून था
अपने होने पे गुरूर था
...झूम के नाची यूँ ......तक धिन
मृदंग मंजीरे बज उठे
सुर दिशाओं के सज उठे
उसके नृत्य में सब हुए मदहोश
ओढ़नी, चुनर किसको कहाँ रहा होश
समय भी रुक गया , हो उठा लालची
फिर न दिखेगा ये सुर संगम
ये रास , ये रंगीलापन
छोड़ गयी फिर अचानक हमें
यूँ ही विस्मित , अचंभित , उन्मादित ,आलोकित
वो रात

O' life

Every time i look at you...o life

you show me a different face

every time i sit for rest

you whisper , its time to win the race

every time i cry in despair

you dwell on what is going right

every time i am in dark

you show me a way bright

every time i am proud

you advise to sit back

every time i am lost

you bring me on to the track

you teach me , in phases
when will i know all your faces



keep on the surprises dear....

Bring it on....Its your will...crystal clear

व्यापार

कटघरे में बंद मन और

सींखचों में कैद भगवन

अंधकार के अभ्यस्त ये नयन

नहीं सह पाएंगे तीव्र प्रकाश

जो होता है सत्य के पास अनायास

सुविधा की चिंताओं में बीतता जीवन

देखता उस वृहद् विशाल में भी बौनापन ....अपने जैसा



अपनी इच्छा-पूर्ति से ही बस हमें सरोकार

वैसे तो ये जग करता चमत्कारों को नमस्कार

पर पूजित होंगे भगवन हमरी सुविधानुसार

नियत कर दिया वृद्ध , अशक्त ही इसके लिए

सतही भावना ,नहीं जला पाती बुझे मन के दिए

चैतन्यता नहीं बिकती किसी आश्रम या बाज़ार में

क्षरित उर्जा अपूर्ण रहे मनोतियों के व्यापार में



भ्रमित , संशकित मन को करो निर्भय प्रथम

तरेगा अवश्य , जो डूबने को तैयार हो हरदम

ख्वाब

कुछ ख्वाब होते हैं
सूरज से कहीं ज्यादा चमकीले
अद्भुत रश्मियों के मायाजाल से घिरे
सुदूर क्षितिज से झांकते
तुम्हारे नैनों की पुतलियों में खड़े
...मन की पुस्तक की जिल्द में जड़े
...ख्वाब न हुए, जिम्मेदारी हो गयी !!!
देखो भी और पूरा भी करो
मुए जाते भी तो नहीं दिल से
कहीं पड़े भी नहीं रहते चुप से
तुम्हारे हों ये मेरे ...
ख्वाब होते हैं बंदिशों ,दायरों, दीवारों से परे
जिसे छूने की नहीं है ताब
उससे कोई कैसे लड़े

Wednesday, March 16, 2011

सम्पूर्ण समर्पण

मेरे शोर को हंसी समझते हैं सब
अनजान हैं मेरे मुस्कुराते से मौन से
मेरी यात्रा हुई शुरू अकस्मात्
वेग बन के उठाया वो पहला कदम
बचपन की उल्लास भरी तरंग
...पत्थरों से सर टकराती
कभी उफनती , कभी बिफरती
...कभी अल्हड हो खिलखिलाती
कभी अठखेलियाँ कर रिझाती
कभी माँ बन हूँ दुलराती
कभी सबका जीवन संवारती
सभी की पूजा स्वीकारती
मैं
बरसों से थी उन चरणों को तरसती
जिनमे कर दूं सब अर्पण
जो समां सकें मेरे अस्तित्व को

आज अनजाने ही
बिन आहट, बिन बताये , बिना बुलाये
चले आये ...सहज ही धर दिया खुद को मेरी गोद में
लो, कहती हो न खुद को नदी
करती सभी की तृषा शांत
तो भी स्वयं हो इतनी क्लांत!!!
प्रेम देने के लिए व्यग्र , विह्वल
लो, मैं खुद आया हूँ चलकर

उस सम्पूर्णता से हुई मैं परितृप्त
उदास नहीं , बस हूँ खुद में मस्त

ऐसी किस्मत हर नदी की होती नहीं
सागर खुद ले समेट, तो भी खोती नहीं
चाहती है हर नदी बस सम्पूर्ण समर्पण
यही प्रकृति उसकी , न करो नियंत्रण

Thursday, December 23, 2010

Dare !!

Sheathed with doubts and distraught with conflicts
Timidity of my existence
Bred enormous anxieties
Never looked beyond me. still could not get ME
Rapt with riding on the waves ,
always missed the feathery touch of gentle breeze
Busy uncovering others, forgot my own layers
Captivated by the games they play
Overlooked my own pretence and display
knowledge, , lectures, analysis of all
yes , i admit, do enthrall

yet, fail miserably ...
to calm the agitated mind
to pierce the stony heart
to quench the thirsty soul
to be the lamp-post of
man's eternal quest

ifs and buts ...keep us in the rut


Caught in the web of compulsions
Drained by the questions
Worn-out from the struggle
Weary of the realities of survival
Occupied the self with niceties
life became hectic and eventful
Robots are productive and useful !!

And then ...you made your way in
without any door or window open
without any stifling sermon
just with tender eyes
and blistering devotion


Enveloped in the Cocoon of your grace
...Today ....I...dare to Dream again.....
Fuelled by your love....
.Today ...I ...dare to Live again....Come what may!!.